कार्तिकी एकादशी निमित्ताने-
"पांडुरंग पांडुरंग '
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चंद्रभागेच्या हो तिरी
विटेवरी उभा हा देव
भक्त म्हणती याला
सखा माझा पांडुरंग ...।।
वाळवंटी जमला बघा
भक्तजनांचा हो मेळा
भजनात लागे सूर
पांडुरंग पांडुरंग.....।।
चला पंढरीस जाऊ
सरळ सोपी ही वाट
दर्शन घेऊ श्रीहरीचे
ओठी पांडुरंग पांडुरंग ..।।
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-अरुण वि.देशपांडे-पुणे.
(शरण समर्था जाऊ,"या संग्रहातून)
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