हमें न पत्ता था नेता इतने लाचार हो जाते है। जनता के प्रति तय कर्तव्य भुल जाते है। सेवासुविधाओं की गोली हर चुनाव में मिलती है। मगर चुल्लुभर मदिरा और हरीपत्ती के गिने कागज़पर चुनाव की सीट मिलती है। कल उसका लगानेवाले आज इसका नारा लगाते है। शब्दों से खेलनेवाले मीडियाकर्मी कहा 'स्क्रिप्ट' बदलते है। नेताओं की पुरी तय्यारी है। कल तेरा खाने का नंबर था, आज मेरी बारी है।