खुला आसमाँन है, नीला अहेसास सफर में
रंग ए नूर, नजारा सामने, अहेसास सफर में
फिर टुटकर बिखरते , क्युं धौंसले महोबत के
जुडे ना दिल क्युं सामने , अहेसास सफर में
फिजा़ का मौसम है , तो क्या हो जायेगा दिल
बसंत ए बहार का खयाल, अहेसास सफर में
बिरहाना अश्को में डुब जाना लाज़मी तो नही
मुस्कराता हसीन चहेरा का, अहेसास सफर में
बिछडकर भी, मिलना नसीब होता है कभीभी,
अलविदा अहेसास क्यु ?, अहेसास सफर में
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