हवा बेशर्म हुई
तेरी कमीज से लिपट कर
पगली झूम लेती है
बादलों के बीच ढूँढ़ कर इक चेहरा
समझ तेरी पलकें ; चूम लेती है

कहती है ;जमीं पर झुकती है नज़र
इसलिए कुछ हिस्से कर लेती है
आसमाँ के जिनमें
उसके लिए
इक ठहरी हुई सदा ,लंबित सी दुआ
जिन्दगी का फलसफ़ा
सिर्फ़ तुम ही हो

होंठो में दबा कर इश्क के निवाले
जीभ पर उभरते शब्दों के छाले
बुदबुदाती है

कि अब कहाँ कुछ रहा बाकी ,
और झुकती है अंगीठी पर
राख से उठते धुयें में अपने बहते आँसू सेंक लेती है ..
यकीनऩ
#हवा इश्क की गिरफ़्त में है..

#pranjali

Hindi Poem by Pranjali Awasthi : 111275612
Devesh Sony 5 year ago

Aha... Kya baat.. ???

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