कविता - दर्शन श्री समर्थांचे
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मनास आवडे
सुखाचाच संग
होऊनी जातसे
त्यात दंग …!
वळवणे मना
सोपे नसे खरे
घेउन जा त्यास
समर्थांकडे …!
मन शांतवाया
उपाय नामी एक
करावे स्मरण
श्री सद्गुरूंचे …!
व्हावे कल्याण
हीच तळमळ
असते मनात
श्री सद्गुरूंच्या !
समर्थ दर्शन
घडावे हो रोज
होईल सार्थक
दिवसाचे ……!
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कविता - दर्शन श्री समर्थांचे
-अरुण वि. देशपांडे -पुणे.
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