गम़ ए जिंदगी का डर , दिल क्युं सताता है
बिछ़ड ने के बाद, मिलने का मजा़ आता है
दिन बिछ़डता है, रात भी बिछड जाती है
मौसम ए बहार,, फिजा़ के बाद आता है
तपती है ज़मी, सागर का पानी उबलता है
रिमझीम रिमझम, बारिश का सफर आता है
थामकर दिल , तसल्ली करना इतमीनान से
परदेशी भी लौटकर , एक दिन घर आता है
मिलना बिछडना है ,वक्त के साये में जिंदगी
ईबादत करने वालो,. रुहाना पैगाम आता है