यादोंके मेले में ही, खोकर रह गए,
जिंदगी हम तो बेसमजी में रह गए;
वक्त के साथ-साथ, गुजरते हुए हम,
मंजिल ए महोबत,यकीनन भूल गए;
दुरियां ना जाने कितनी, आप से ही,
बेखुदी में राहें मंजिल, ही भूल गए;
बड़ा शौक ओ सुकुन चाहिए था मगर,
दर्द ए ग़म एहसास में जिंदगी रह गए;
आनंद मिलता नहीं, बाजार ए इश्क में,
हम खोजते हुए। तिलस्मी राज़ रह गए ;
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