"लघुकथा"
एक बार एक बाघ, बकरी, तितली, मछली और मुर्गे में दोस्ती हो गई। सब प्यारे दोस्त बन गए। कुछ दिन तो सब ठीक रहा, पर धीरे- धीरे आपस में मनमुटाव शुरू हो गया।
बाघ बकरी से कहता - तेरे घर आकर क्या करूं, कोरी घास खिलाएगी !
मुर्गा कहता- ना बाबा, इतनी ठंड में पानी में जाकर मछली से कौन मिले।
तितली बकरी से कहती - डर लगता है, कहीं मैं आकर घास में बैठी, और तू चर गई तो?
मछली कहती- मैं किसी से मिलने- जुलने नहीं आ सकती, एक पल को भी पानी से निकली और मुसीबत आई।
दोस्ती टूटने के कगार पर आ गई।
एक दिन तितली उदास होकर अपनी सहेली चिड़िया को सब हाल सुना रही थी, कि बुद्धिमान चिड़िया बोल पड़ी - "तुम लोग ऐसा करो कि एक वॉट्सएप ग्रुप बना लो। रोज़ सुबह- शाम एक दूसरे को राम- राम करना और अपने सुख- दुख सुना कर हंसाना- रुलाना। सबकी दोस्ती भी बनी रहेगी और एक दूसरे के पास आने- जाने का झंझट भी नहीं रहेगा।"
तितली खुश होकर बाज़ार की ओर उड़ चली, मोबाइल खरीदने !