आँखे
कुदरत ने क्या खूब हिस्सा बनाया हे, हम इंसानों के शरीरमे
जो पुरे इंसानियत का हिसाब रखती है |
ये जो आँखे हे वो बच्चोके पैदा होनेसे लेकर, बड़ा होने तक में वो चाहे खुदमें भलेही बदल जाता हो
लेकिन,ये आँखों में इतना बदलाव नहीं आता साहब |
किसीको पहेचनना हो ,तो उसकी आँखोंसे पहेचानो क्युकी वो कहेते है ना की,
आँखे कभी धोखा नहीं देती |
अगर आँखों से किसीको पहेचानोगे तो,शायद उसे कभी भी आपकी मुलाकात हो,
आप उस शख्स को पेहेचानेसे इनकार नहीं कर पाओगे |
ये आँखे अल्फाज नहीं रखती हे जनाब ,लेकिन फिरभी सब कुछ बिना कहे ही ,
सब कहेने की वो ओकात रखती है|
साथ तो ना गम में छोडती है ,ना ख़ुशी में छोडती है ,ये वो शख्स नहीं जो बिच रस्ते में तन्हा छोड़ते है,
ये तो दो आँखे ही है जो हर जज्बात में साथ निभाना जानती है |
या खुदा एक गुजारिश है आपसे, देना हो अगर कुछ तो बस,किसीकी आँखोंमें थोडीसी मोहब्बत दिखा देना
क्युकी किसीकी आँखोंमें खुद केलिए नफ़रत देखना,किसी जहनुम से कम न होगी|
हर किताब को पढ़नें की आदत,चेहरे पढनें के काबिल बनाती है मुझे ,और फिर सिर्फ
एक दफा किसीकी आँखे पढ़ पाऊ तो,लगता है की
पढने की आदत मुकंबलसी हो गई
लगता है की पढने की आदत मुकंबलसी हो गई हैं।
हेतु_✍