खो जाने दो आज मुज़े इन हवाओं में,
चाहे ग़ुम हो ही जाऊँ इन घटाओं में
जाने भी दो यारो ,अब न रोको मुझे,
घुल जाने दो रूह को मेरी फ़िज़ाओं में
वैसे भी कुछ काम का तो रहा नही मैं,
डूब चुका हूँ उसकी जादू भरी निगाहों में
दुनिया की नजरसे होना है ग़ुम अब तो,
छुप जाने दो अब दिलकी गुफाओं में
कैसे चलेगा कि मुज़े कोई जानता नहिं,
नाम गूंजने दो अब तो मेरा इन सदाओं में
Bhavesh Parmar "આર્યમ્"