!! शिरोमणि हिंदी !!
प्रीति के रस से सराबोर हो
लहरों की अंगड़ाई है ।
भावों की तरुणाई से
जीवन की गहराई है ।।
रस ,छन्द , ताल और अलंकार,
सकल व्याकरण का अंबार है ।
मूल्यांकन का सामर्थ्य भरा ,
परिभाषित करती संसार है ।।
संस्कृत इसकी जननी है,
तो उर्दू भगिनी है सगी ।
तुलसी ,रसखान के सवैया ,
और गजलें रस से है पगी।।
देश --विदेश में मान बढाकर,
करती समृद्ध यह हिंदी है ।
जनमानस की भाषा बन गई,
भारत के मस्तक की बिंदी है ।।
जाति, धर्म ,भाषा से ऊपर,
सबको मान दिलाया है ।
राजनीति, विज्ञान हो चाहे,
सब पर धाक जमाया है।।
गद्य, पद्य से सजी हुई ,
कवियों की मुखरित वाणी है ।
जन चेतन आविष्कारक है,
जन -जन की कल्याणी है ।।
सूरसागर, कामायनी,आँसू,
प्रेमचंद , अज्ञेय ,निराला है।
सर्व भाव के संग बह चली ,
यह बच्चन की मधुशाला है।।
माँ,शारदा का वरदहस्त
अवधी ,ब्रज भाषा हिंदी है।
‘ रामचरित ,जन मानस का
साहित्य शिरोमणि हिंदी है ।
नमिता