?सुनो सजना पपीहे ने???
कहा सबसे पुकार के
संभल जाओ चमन वालों
के आये दिन बहार के
फूलों की डालियाँ भी यही गीत गा रही हैं
घड़ियाँ पिया मिलन की नज़दीक आ रही हैं
हवाओं ने जो छेड़े हैं, फसाने हैं वो प्यार के
संभल जाओ चमन वालों...
देखो ना ऐसे देखो, मर्ज़ी है क्या तुम्हारी
बेचैन कर न देना, तुमको कसम हमारी
हम ही दुश्मन ना बन जाएँ, कहीं अपने करार के
संभल जाओ चमन वालों...
बागों में पड़ गये हैं, सावन के मस्त झूले
ऐसा समा जो देखा, राही भी राह भूले
के जी चाहा यहीं रख दें, उमर सारी गुज़ार के
संभल जाओ चमन वालों...