धुंध में लिपटी थी मेरी ज़िन्दगी अब तक , अभी तो सूरज की पहली किरण अाई है । फिर से महकने लगी है ज़िन्दगी , जैसे बरसों से छुपी कोई ख्वाहिश थी । आज फिर से उड़ने का मन करता है , जो अभी तक ना किया वो करने का मन करता है । दुनिया की फिकर को छोड़ कर , सिर्फ अपने बारे में सोचने का मन करता है । फिर से एक बार बच्चा बनने का मन करता है ।