साजन: भोर भई काहे अँग़डाई ले?
सखी: रातभर तुने मोहे जगाया।
साजन: काहे मन्ने दोष लगाये। तन्ने मोहे कम सताया।
सखी: प्रीत बावरी लज्जा मने आवे। जोबन तोहे बीन व्यर्थ न जाये।
साजन: तोहे संग प्रीत जनम जनम की।
सबकुछ जानु, ना बात भरम की।
सखी: अब ना छोडू संग मीत का।
साजन: मैं भी निभाऊँ साथ जनम-जनम का।