*लिखने वाले ने क्या खूब लिखा है....*
*गलतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,*
*दोनों इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नहीं...।।*
*तू मुझे औऱ मैं तुझे इल्जाम देते हैं मगर,*
*अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नही..।।*
*गलतफमियों ने कर दी दोनो मे पैदा दूरियां,*
*वरना बुरा तू भी नही, मैं भी नही....।।*
जय सियाराम जी
*?सुप्रभात?*