ठहर जाओ पलभर के लिए
इक ख्वाहिश अधूरी सी हूं मैं
समेट लो अपने आप में
बिखरा हुआ इक ख़्वाब हूं मैं
जानती हूं मैं अपनी हदे
बेहद सी चाहतो के साथ
वो पैमाना जो होठो तक न पहुंचा
मयखाने का क्या कुसूर
काली रातों के साए में
तेरा जुगनुओ सा मिलना
उतार दिए आइने सारे
क्यू मिलू अब खुद को भी में
ले गया रूह तक वो मेरी
जान भी मेरी ले जाते
इक ख्वाहिश जो अधूरी सी
समेटकर तिनके मेरे
कर दो मुकम्मल जहां मेरा
कर दो मुकम्मल जहां मेरा
? Anju Shiva ?