*जीवन में “परेशानियां*
*चाहे जितनी भी हों,*
*”चिंता” करने से*
*और "बड़ी" हो जाती हैं,*
*”खामोश” होने से*
*काफी ”कम” हो जाती हैं,*
*“सब्र” करने से*
*”खत्म” हो जाती हैं,*
*और*
*परमात्मा का ”शुक्र” करने से*
*“खुशियों” में बदल जाती हैं*
? *शुभ प्रभात*?
आपका दिन मंगलमय हो
जय सियाराम जी