दर्द लगे तो चुपचाप सह लेगा।
आँसू का एक कतरा न बहायेगा।
दिल की आरजू को वह बखुबी जानता है।
इन्कार की वजह समझता है।
कहाँ हुस्न और बुध्दी का तालमेल बैठ पाया।
कैसा हिसाब उपरवालेने बिठाया।
तनहाई तो उसकी साथ दे रही है।
अंधेरे मेंं वह समझा रही है।
दर्द उठाये दिल में, मोहब्बत पाक रखेगा।
मरते दमतक वादा निभायेगा।
ऐसे कितने आशिक मिले प्यार की राह पर।
इश्क नसीब हुवा, वह गिनेचुने लोग निकले।