Hindi Quote in Story by Prabodh Kumar Govil

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नमक
एक लड़का और लड़की स्कूल से भागकर सागर किनारे घूमने अा गए। वे लिपट कर एक दूसरे में खोए हुए थे कि उनकी किताबों से एक दोहा और एक क्षणिका निकल कर पानी में जा गिरी।
बहते- बहते दोनों एक निर्जन द्वीप में पहुंच गए। अब कोई चारा नहीं था, दोनों ने एक दूसरे को हिम्मत बंधाते हुए आपस में शादी की और पति पत्नी बन रहने लगे। दोहा दिनभर भटक कर फल- फूल लाता और क्षणिका घर संभालती।
कुछ दिन बाद दोनों के एक संतान हुई। प्यार से दोनों ने उसका नाम रख दिया- लघुकथा!
एक दिन नन्ही लघुकथा पानी के किनारे खेल रही थी कि उसने एक बजरे पर सवार होकर कुछ लोगों को आते देखा।
उसने इस द्वीप पर कभी इंसान देखे न थे, लिहाज़ा किलक कर उन सब को मेहमान बना कर अपने घर ले आई।
वे सभी विद्वान मनीषी गण थे जो किसी अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी से चिंतन- मनन करके लौट रहे थे।
दोहा और क्षणिका बेटी के मेहमानों की आवभगत में जुट गए।
क्या नाम है बिटिया का? एक महाशय ने पूछा।
क्षणिका ने लजाते हुए कहा- लघुकथा!
- वाह! सभी के मुंह से निकला।
एक मनीषी बोले- "ये ध्यान रखिएगा कि इसका वजन चालीस किलो से ज़्यादा न बढ़े!"
दूसरे विद्वान ने कहा- "अगर इसकी लंबाई चार फिट से ज़्यादा हो जाए तो इसकी गर्दन थोड़ी काट दीजिएगा।"
- "ये या तो हंसे या फ़िर रोए, दोनों भाव इसके चेहरे पे कभी न आएं"... तीसरे सज्जन बोल ही रहे थे कि मां हत्थे से ही उखड़ गई। उसने मेहमानों के लिए जो मछली बनाई थी,वो बिना नमक के ही परोस दी।
जब अतिथियों ने नमक मांगा तो मां बोली- नमक तो ख़त्म हो गया, आप सब लोग रो लो, आपके आंसुओं से नमक निकल आयेगा!

Hindi Story by Prabodh Kumar Govil : 111200329
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