*जय सियाराम जी
अंधेरा वहां नहीं है, जहां तन गरीब है!*
*अंधेरा वहां है, जहां मन गरीब है..!!*
*ना बुरा होगा, ना बढ़िया होगा!*
*होगा वैसा, जैसा नजरिया होगा..!!*
*हजार महफिलें हों, लाख मेले हों!*
*पर जब तक खुद से न मिलो, अकेले हो..!!*
? *खुश रहिये* ?
? *सदा मुस्कराते रहिए!*?
? *आपका दिन मंगलमय हो* ?