आज चुपके से मैंने पीछे मुड़ कर देखा, कोई नहीं था पीछे, में और मेरी यादें अक्सर साथ रहते हैं । कुछ तनहाइयाँ है मेरे साथ, जो मुझे जीने का वजूद कहती हैं । मैं अकेली नहीं हूँ, मेरे आस-पास वे सारी शक्तियां हैं, जो हर मोड़ पे मेरे साथ हैं ।
लेकिन मेरी कोशिश हंमेशा से एसी ही रही है की, अपना वजूद पूरा करने के लिए में कभी अपनों से दूर नहीं भागी। कुछ जिम्मेदारियां मुझे आज भी याद है कि उसे पूरा करने के लिए मेरा वजूद भुलाना पड़ा तो मैं पीछे नहीं देखूँगी।