आधी उम्र निकाल दी मैंने यह सोचते - सोचते कि कहा थी गलती मेरी पर फिर भी कोई जवाब ना मिला । उस का हर इल्ज़ाम सर आंखों पर लिया , गलती नहीं भी थी फिर भी उसकी गलती को अपनी गलती कहां । आज भी इसी दर्द मै जी रहे है कि शायद वो पल ना आया होता , हम उससे कभी ना मिले होते तो शायद दर्द कम होता । पर ऐसा है नहीं किसी के जाने के बाद ही आपको किसी और अपने के होने का एहसास होता है ।