कहना है जो वोह बात कही नही जाती ,
दिल की दिल से बात बताई नहीं जाती ,
ख़्वाब दीदा आंखों देखते हैं हम तुम्हें
कैसे लगते हो हमें ये जात दिखाई नहीं जाती ,
मुहब्बत की ये ज़ुबां समझाई नहीं जाती
दिल की दिल से बात बताई नहीं जाती ,
समझ जाती हैं आंखें एक दूसरे के एहसासों को
लफ़्ज़ों में इन्हें लिखाई नहीं जाती ...
लग जाती है आग दोनो ओर खुद बा ख़ुद "हैदर"
ये आग मुहब्बत में लगाई नहीं जाती ।।