#KAVYOTSAB --2
#प्रेम
*इक तेरी याद*
धूप में सब मोती सूखे ....
जल रहीं हैं पत्तियां।
देखने आया न भंवरा ....
गुल पे हैं विपत्तियां।
इस कदर तो बेरुखी ये
मार डालेगी हमें....
जान लेलो ! जान मेरी ..
पर करो न यूं सख्तियां।
चांद कहते थे हमें तुम,
और खुद को चकोर थे....
फिर लिखो मुझ पर कविता,
और कुछ अतिश्योक्तियां।
हिरनी सी चंचल- चपला,
देते थे उपमा जिन्हें.....
भूल सकते हो क्या मेरी
आंखों की वो मस्तियां
वो मेरा पहला मिलन था
नीम के पेड़ों तले.....
वो भी सारे ढेर हो गए
जली जब दिल की बस्तियां।
है जहां सारा मेरे संग
तू नहीं तो कुछ नहीं.....
भीड़ में बिल्कुल अकेली
खलती हैं तेरी रिक्तियां।।
सीमा शिवहरे "सुमन"
भोपाल मध्यप्रदेश