*भरम*
दिल मे उतर गई है रात
एक कोना दिल का
मेरे लिए महफूज़
कर गई है रात....
जहाँ रखती हूँ मैं
आकांक्षाएं और सपने
जो इंतज़ार में उम्मीद के
थककर चूर हो गए है...
रात के अँधियारे एकांत में
चुपके से सहलाकर
पुचकार कर उन्हें
जीवंत करने का
प्रयास कर आती हूँ मैं...
पूरे होने की उम्मीद जगाकर
कई कई बार बहला आती हूँ मैं....
साथ उनके खुद को भी
जानबूझ कर भरमाती हूँ मैं...
शिरीन भावसार
इंदौर (मप्र)