एक मानस कक्ष होता है, जिसमें रचनाकार अपनी सोच के बीज को सहेजते हैं, और एक हरा कक्ष भी होता है जिसमें वे उसे उगाते हैं... आपके सामने लेकर आने के लिए।
साक्षात्कार ऐसा ही है कि आप अपने सवालों की लकड़ी लेकर किसी फलदार पेड़ के साए में खड़े हो जाएं और तोड़ लाएं अपने पाठकों के लिए खट्टे, मीठे, रसीले कुछ फल !