साथ
#KAVYOTSAV -2
क्यों न हम उस वक्त तक साथ निभाये
जब तुम एक हाथ में लाठी थामे
दूजे हाथ से मुझे थाम लो
जब हमारे सिर के बाल ही नही
बल्कि...
भौहों पर भी सफेदी छा जाये
जब हमारे मुंह से दांत भी
अलविदा कह चुके हों
और आंखों से पलकें भी
आधी झड़ जायें
उस पल में भी मैं
तुम्हारी ठोड़ी को पकड़कर
तुम्हारे करीब आऊँ
और
एक धीमी सी मुस्कान
तुम्हारे चेहरे पर तैर जाये
जब हम इस दुनिया में होते हुए भी
केवल एक दूजे में ही गुम हो
जब केवल मध्य में हम दोनो ही चमके
और चारों ओर के सब दृश्य गौण हो ।।

नेहा भारद्वाज
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Hindi Poem by Neha Bhardwaj : 111162469
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