kavyotsav 2
।। मेरी खामोशी ।।
ख़ामोशी ने इस तरह छेड़ा मुझे ।2।
ना तेरा हुआ ना जीने दिया मुझे
क्या कहूं ए ख़ामोश
अपनी ये दास्तां
तूने रुषवा किया
ज़िन्दगी ने ठुकरा दिया
अक्षर हस्ते हुए चहरे अंदर ही अंदर रोते है
और रोते हुए चहरे ज़िन्दगी से खेल जाते है।
अब तो खामोशी ही ज़िन्दगी है
और ज़िन्दगी से नाराज़ है ये ख़ामोश ।।