#शायद
भिगो ले खुद को बारिश में आज,
शायद, जिंदगी के पन्नों की स्याही धूल जाए!
लिख ले फिर से खुद को आज,
शायद, कोई भुला बिसरा याद आए!
आजमा ले हुनर जिंदगी का मुसाफिर,
शायद, ये वक्त दो बार, ना आये!
मिटा ले दिलों की दूरियाँ अभी भी,
शायद, कोई रोज़ वो तुझ से बिछड़ जाये!
तराश ले खुद को आज में,
शायद, कल तुझे समझ पाए!
मिटा ले, गुमान दिल से,
शायद, कल तेरे और करीब आए!
जी ले जिंदगी आज में,
शायद, ये आज फिर ना आए!
भिगो ले खुद को बारिश में आज,
शायद, जिंदगी के पन्नों की स्याही धूल जाए!
-- धीर (धीरेन्द्र)...,