#ज़िन्दगी
कभी शौक था लिखना लम्हों को,
आज यही ज़िन्दगी बन गया है.!
खो कर उसी को मिला है,
जिसने ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से जिया है.!
मन की किताब हर जगह खुलती नहीं ,
बस इसे तलाश रहती है पढ़ने वालों की.!
गमों से उभर के तो देखो,
ज़िन्दगी तब तब हँसी है.!
जब जब उसके चेहरे पर
किसी ने दिल के बात पढ़ी है.!
-- धीर (धीरेन्द्र)...,