विषय: सामाजिक
बदले जब आसार अचानक
बदल गए सब यार अचानक
जब भी फूलों से मिलता हूँ
चुभ जाते हैं खार अचानक
बिना बुलाये मेहमानों से
आये दुःख हर बार अचानक
गौतम बुद्ध ने सच की खातिर
छोड़ दिया घर बार अचानक
हँसते गाते घर में 'गुलशन'
खिंच गयी इक दीवार अचानक
गुलशन मदान