आईना मोहब्बत का
सँवार लेते हैं
खुद को अब तुम्हें देखकर!
तुम आईना मेरी मोहब्बत का हो!!
खुद से ही
इश्क़ करने लगे हैं!
तुम आईना मेरी इबादत का हो!!
खो कर अब खुद को
तुझ में तलाशने लगे हैं!
तुम आईना मेरी चाहत का हो!!
आँखें हसीन ख़्वाब सजाती हैं,
पल-पल तुम्हें निहारने से,
तुम आईना मेरी रूह का हो!!
तेरे सपने भी दिल को,
बहार से लगते हैं,
तुम आईना मेरी मोहब्बत का हो!!
-- धीर (धीरेन्द्र)...,