#KAVYOTSAV --२
#प्रेम
वो नीम का पेड़
वो नीम का पेड़ अब भी मुझको..
यादों में रुराने आता है।
मैं खेलती नहीं न संग उसके..
सपने में बुलाने आता है।
रेशम और जूट -बने झूले...
मेरे घर में सजाये जाते हैं।
मुझे वक्त नहीं उसे छूने का..
डालियों पर झुलाने आता है।
वो नीम.......
अब कहां वो ताजी हवाएं हैं?
ये शहर भरे कारखानों से।
मैं सो नहीं पाती चैन से अब..
छांओं में सुलाने आता है।
वो नीम.......
वो दिन भर गुजरना संग उसके...
मैं भूल नहीं पाती अब तक।
बेफिक्री भरे वो दिन मेरे...
मुझे याद दिलाने आता है।
वो नीम .....
कितने ही उकेरे थे ,दिल उस पर...
क्या अब भी धड़कते होंगे वो?
हमें मिले हुए, इक ज़माना हुआ...
दिलवर से मिलने आता है।
वो नीम का पेड़ अब भी मुझको
यादों में रुलाने आता है..
सीमा शिवहरे "सुमन"
भोपाल मध्यप्रदेश