#KAVYOTSAV -2
बीते दिनों की यादें
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कहां खो गए वो दिन
जिन्हें में ढूंढती हूं
गली, मोहल्ले, गांवों में
बच्चों की हंसी खो सी गई है
किताबों के पन्नों में उलझ सी गई है
अब बच्चों ने गिल्ली डंडे से
नाता तोड़ दिया है
इंटरनेट कंप्यूटर मोबाइल से
नाता जोड़ लिया है
अब बुजुर्गों से कोई प्यार नहीं है
उनकी कहानियों का कोई सम्मान नहीं है
जो भाई बचपन में एक साथ बडे हुए
वहीं एक दूसरे की भावनाओं से खेल रहे हैं
कुछ रुपए और कुछ जमीन के लिए अपना रिश्ता भूल रहे हैं
बेटा बाप को आंख दिखा रहा है
उनकी सेवा करने से कतरा रहा है
पहले तो सिर्फ बेटी पराई थी
अब तो बेटा भी पराया है
पहले नहीं होते थे वृद्धाश्रम
लेकिन अब हर शहर में है वृद्धाश्रम
क्योंकि पहले बेटे मां-बाप के पास रहते थे
लेकिन अब मां-बाप बेटे के पास रहते हैं
पहले हर भाई को रक्षाबंधन का
इंतजार रहता था
लेकिन अब ऐसा नहीं है
अब कलाई पर राखी के डोरी की जगह
फ्रेंडशिप के डोरी बंधने लगे हैं
जमाने के साथ सब कुछ बदल गया
बदला नहीं तो सिर्फ मां-बाप का प्रेम
जो इतना बदलाव देखने के बाद भी
सिर्फ अपने बच्चों को आशीर्वाद ही देते हैं।।
नेहा शर्मा।