*जींदगी वन-डे मैच की तरह है,*
*जिसमें रन तो बढ़ रहे है*
*पर ओवर घट रहे है*
*मतलब धन तो बढ़ रहा है*
*पर उम्र घट रही है।*
*इसलिए हर दिन*
*कुछ न कुछ पूण्य के*
*चौके छक्के लगायें*
*ताकि भगवान रूपी एम्पायर हमें*
*खुशियों की ट्रॉफी दे सके*
?शुभ प्रभात?
जय श्री राधामाधव,,,,मीत्रो,,,