तेरे एहसास से मुहब्बत है मुझे
तेरे इख्लास(ईमानदारी)से मुहब्बत है मुझे
जब तू मेरे पास नही होती
उस याद के लम्हात से मुहब्बत है मुझे!!
तेरे हर जज़्बात से मुहब्बत है मुझे
तेरे ख्बाब-ओ-ख्याल से मुहब्बत है मुझे
पलकें बिछाए रखते हैं दरवाज़े पर
तेरे उस इंतज़ार से मुहब्बत है मुझे!!
तेरी खुशबू से मुहब्बत है मुझे
तेरी कातिल निगाहों से मुहब्बत है मुझे
तेरे आने का जो पता दे
उन फिज़ाओं से मुहब्बत है मुझे!!
तेरा मुझसे यूं छुप-छुप कर मिलना
उन चाँदनी रातों से मुहब्बत है मुझे
जिनमें सिर्फ मेरा ही ज़िक्र हो
तेरी उन बातों से मुहब्बत है मुझे!!
अपनी मुहब्बत के किस्से पन्नों पर उतारु
उन गज़लों से मुहब्बत है मुझे
तेरा रुबाब(रुतबा)जो है मेरी ज़िंदगी में
इसलिए ही तो अपनी ज़िंदगी से मुहब्बत है मुझे!!