*अकेले हम बूँद हैं,*
*मिल जाएं तो सागर हैं।*
*अकेले हम धागा हैं,*
*मिल जाएं तो चादर हैं।*
*अकेले हम कागज हैं,*
*मिल जाएं तो किताब हैं।*
*अकेले हम अलफ़ाज़ हैं,*
*मिल जाएं तो सुंदर रचना हैं।*
*अकेले हम ईंट पत्थर हैं,*
*मिल जाएं तो इमारत हैं।*
*अकेले हम दुआ हैं,*
*मिल जाएं तो इबादत हैं।*
*जीवन का आनन्द मिलजुल कर रहने में है*
*?शुभप्रभात
जय श्री राधामाधव,,,मीत्रो,,