#Are_we_a_philanthropic_people ??
एक गृह लक्ष्मी को किसी साधू महात्मा ने बोला की यदि तुम फला दिन 3 लोगो को भोजन कराओगी तो तुम्हारा इक्छित कार्य पूर्ण होगा।.....उन महात्मा की बातो को शिरोधार्य कर उस देवी ने ऐसा ही किया । .... पर उस दिन 3 की जगह 4 लोग उपस्थित थे.... अब ये क्या??.... साधू महाराज ने तो सिर्फ 3 लोगो का ही बोला था पर ये तो 1 ज्यादा है।..... लकीर की फ़कीर उस गृहणी ने सिर्फ 3 को ही भोजन कराया ।.... चौथा बेचारा तरसती नजरो से ही स्वाद लेता रहा।...... अब उन देवी का अभीष्ट कार्य हुआ या नही ये तो में नही जानता। .... पर उस चौथे की हालत मुझे आज भी ये सोचने पर मजबूर करती हे की क्या हम इतने मतलब परस्त स्वार्थी हें की सिर्फ अपनी चाह को पूरा करने के लिए एक निर्धारित लक्ष्य बनाकर ही चलेंगे।....
एक सज्जन जो बाकी दिनों में गरीबो का शोषण करते हें ।....उनमे मंगलवार को अचानक दानवीर कर्ण की आत्मा प्रवेश कर जाती हे। .....उस दिन तो वे महानुभाव स्नान के पश्चात सीधे अपने दल बल के साथ 1 बाल्टी में रायता , 1 में सब्जी , 1 बड़े से बर्तन में पूरी , आदि *खाद्य साहित्य* लेकर निचली बस्तियों की उड़ान भरते हें।.... उस वक्त उनके प्रतापी मुख मंडल से ऐसा तेज़ प्रसारित होता हे, मानो वे आज संकल्प कर के निकले हों की अब हिन्दुस्तान को कुपोषण से मुक्ति दिलाकर ही लौटूंगा।... बेचारे ग़ुरबत के मारे भी ये सोच कर गले गले तक खुद को भरने में लगे रहते हें की अब तो सीधे 8 दिन बाद ही नम्बर लगेगा।....और बाकी दिन तो ये सेठ उन्हें शोर्ट फॉर्म में गालियाँ दे दे कर हांक देगा ।........
कुछ रस्सी प्रेमी भी इतने भक्त होते हैं ,कि 9 दिन नवरात्रि के साधू बनकर #अगम_अटल_रंगीन_जल का त्याग कर सिर्फ जल पीते हैं।.......में ऐसे छद्म भक्तों से कहना चाहूंगा कि यदि हिम्मत है तो इन 9 दिनों में भी या मंगल के व्रत में भी वेसे ही रहो जैसे आमदिनो में रहते आये हो।.....आखिर किस्से हम ये धोखा करते हैं..... भगवान से????? या खुद से?????....
ये उन सितारों का देश हे भैया जो आपदा पीड़ित लोगो की मदद के लिए भी स्टेज शो आयोजित कर जनता की जेब से ही पैसा निकालकर दान करते हे।...और मीडिया में खूब सुर्खिया बटोरते हें।..जबकि उनके खातो में करोंडो की धनराशि अपनी किस्मत पे आंसू बहाती रहती हे।.....
निस्वार्थ भाव से जो दान किया जाए वो ही सच्चा और आदर्श दान है।.....क्या आज के समय में ऐसा होना सम्भव हे?.... ... भारतीय धार्मिक इतिहास में हमने ऐसे अनेकों उदाहरण पढे हें.....जिनमे #दानवीर_कर्ण ... #असुरराज़_बलि ...#राजा_हरिश्चन्द्र आदि कई ऐसे महान विभूतियों के जीवन चरित्र से हम कुछ ना कुछ तो उठा ही सकते हें।...भले ही उसकी मात्रा अल्प ही क्यों न हो ...ये बात अलग है कि जितने भी उदाहरण मेने दिए वो सभी अपनी इसी अतिसहृदयता के चलते दानवीरगति को प्राप्त हुए।..........अतः दान पुण्य भी उतना ही करें जिससे स्वयम के हाथ ना जलें ।... खुद को मिटाकर दान करना कोई समझदारी नही।...?