*ज़िन्दगी से लम्हे चुरा*
*बटुए मे रखता रहा!*
*फुरसत से खरचूंगा*
*बस यही सोचता रहा।*
*उधड़ती रही जेब*
*करता रहा तुरपाई*
*फिसलती रही खुशियाँ*
*करता रहा भरपाई।*
*इक दिन फुरसत पायी*
*सोचा .......*
*खुद को आज रिझाऊं*
*बरसों से जो जोड़े*
*वो लम्हे खर्च आऊं।*
*खोला बटुआ..लम्हे न थे*
*जाने कहाँ रीत गए!*
*मैंने तो खर्चे नही*
*जाने कैसे बीत गए !!*
*फुरसत मिली थी सोचा*
*खुद से ही मिल आऊं।*
*आईने में देखा जो*
*पहचान ही न पाऊँ।*
*ध्यान से देखा बालों पे*
*चांदी सा चढ़ा था,*
*था तो मुझ जैसा पर*
*जाने कौन खड़ा था।*
(हम सब की कहानी )
-- Kavita Gandhi
માતૃભારતી થકી પ્રસારિત થઇ https://www.matrubharti.com/bites/111148832