वो सुबह
जिसमे मै चाहता था कि
चाय पीते-पीते कनखियो से तेरा दीदार पा लूँ
पकड़ा जाने पर अपना मुंह अख़बार मे छुपा लूँ
और तुम हौले से मुस्कुरा दो,
फिर मै भी मुस्कुरा देता देखकर तुझे,
उस समय अगर क़यामत भी आती तो हमे देखकर कुछ पल ठहर जाती,
ख़्वाहिश है बस उस गुलाबी सुबह की मुझे