ये कहते हुए दुख हो रहा है कि सोशल मीडिया में कुछ ऐसे App (Like, Helo, Tiktok etc.) सामिल हो गए जिसकी वजह से देश की बेटियां और नौजवान अपना भविष्य तो खराब कर रहे ही है साथ में देश को खोखला करने पर तुले है। देश की सभ्य संस्कृति और संस्कार को भुलाकर सिर्फ़ अपने आनन्द में मग्न है।
समय की बर्बादी के साथ अपनी मेंटल एबिलिटी भी खो रहे है।
मेरे प्यारे साथियों से निवेदन है कि इस सोशल मीडिया के अलावा भी जिंदगी है जिसे वास्तविक जीवन कहते है उसका आनन्द भी लेकर देखो ओर खुद के साथ इस देश को भी बचालों। जो सोशल मीडिया, नेटवर्किंग और रील लाइफ है वो रियल लाइफ नहीं बन सकती वास्तविक जीवन का आनन्द तो बड़ों के साथ और प्रकृति के साथ समय व्यतीत करने से प्राप्त होता है। मानता हूं समय और सोच बदल रही है मगर ये भी सच है कि सब कुछ बदल सकता है किन्तु प्रकृति का आनन्द और बड़ों का अनुभव कभी नहीं बदल सकता।
मेरी नौजवानों से गुजारिश है कि ऐसे समय बर्बादी वाले फ़ालतू ऐप्स को भुलाकर अपना वास्तविक जीवन जीने का प्रयास करे।
नौजवानों में बढ़ रही सुसाइट प्रवृत्ति का भी कारण लगभग ये सोशल मीडिया और ऐसे कुंद करने वाले ऐप्स है।
अगर आपको सामाजिक कार्य करने है, स्वयं के प्रशंसक बनाने या प्रसिद्धि प्राप्त करनी या समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करनी हो तो इस रील लाइफ से बाहर की रियल लाइफ में प्रवेश करें आपके सामने अनेकों ऐसे रास्ते मिलेंगे जिससे आप ये सब वास्तविक जीवन में प्राप्त कर खुशी, प्रसन्नता और सुख प्राप्त कर सकते हो।
इसके लिए प्रकृति ओर अपने आप से प्यार करना होगा।
आज काफी लंबे समय के बाद पेड़ों की छाव में कुछ पछियों की नई आवाजें सुनने को मिली तो मन प्रफुल्लित हो उठा।
एक बार विचार करके देखें।
*लेखक एन आर ओमप्रकाश हमदम।*