बारिशों की बूंदों के बीच
कभी तुझसे मुलाकात हो
दास्ताँ बने हमारे इश्क की
कभी तो ऐसी बरसात हो
खत में लिख कर तू कोई
हमें भी पैग़ाम भिजवाए
हमारे इश्क के किस्सों की
कभी तो शुरुआत हो
आँखे भी वो मंज़र देखे
जब तू मेरे साथ हो
दिल बहक ना जाए कहीं
दिल पर बंदिशें ना हो
तेरा रेशमी दुपट्टा जब उड़कर
मेरे इर्द-गिर्द लिपट जाए
तेरी खुशबू को उतार लु सांसो में
कभी तो ऐसी हवा-ए-रुख हो जाए
पाना है तुझको ये तय कर लिया है
फिर कितने भी पहरे क्यों ना हो
तोड़ देंगे हर रस्मों-रिवाज को
चाहे कितनी भी दिवारें क्यों ना हो