अगले दिन प्रार्थना के समय विद्यालय में कुछ कमी थी। बच्चों को लगा कि ये कमी थोड़ी देर में पूरी हो जाएगी लेकिन पूरी नहीं हुई। बच्चे कक्षा में बैठ गये तब भी पूरी नहीं हुई। बच्चों की उपस्थिति लग गयी तब भी पूरी नहीं हुई तो महेश ने पूछा – “मैडम जी, तो आज सर न आएँगे क्या?”
शिवानी मैडम ने कहा – “नहीं, आज उनकी training लगी है।”
मैडम का इतना कहना था कि बच्चों में खुसुर–पुसुर होने लगी। योजनाएँ बनने लगीं कि किसको क्या शैतानी करनी है। सौरभ ने सोच लिया था कि किसकी चप्पल छुपानी है तो सोमपाल सोच रहा था कि किसका सामान छत पर फेंकना है। कम तो शीला जिसे बच्चे पीला कहते थे वो भी नहीं थी। माया भी गुम्मा मारने के लिए लक्ष्य निर्धारित कर रही थी।
महेश ने दिनेश के कान में फूँका – “तओ सही है फिर, आज तो छत तोड़ेंगे।”
दिनेश बोला – “कई दिनों की कसर पूरी होनी है आज।”
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