आँख थोड़ी-थोड़ी शबनमी रह जाएगी,
मेरी ज़िन्दगी में आपकी कमी रह जाएगी।
बीते वक़्त के साथ तेरी याद नही आएगी,
उन यादों पर धूल की परतें जमी रह जाएगी।
हर शाम महफ़िल जम कर फिर बिखर जाएगी,
शमा बुझ जाएगी पर दिल में शमी रह जाएगी।
दिल में लगी आग तो आँसुओं से बुझ जाएगी,
ज़िन्दगी भर उस आग की गरमी रह जाएगी।
खुदा करे मुझे फिर कभी तुम्हारी याद न आए,
"पागल'" याद आई तो आँखों में नमी रह जाएगी।
✍?"पागल"✍?
शमी - आग