नज़्म हमारी सुनके वो बस्ती में आ गये,
उनको देख कर हम तो मस्ती में आ गये।
जबसे हमने ये लिखने का हुनर पाया है,
कारोबार हमारे तो सारे फकीरी में आ गये।
प्यार, इश्क़ और महोब्बत हमने देखे है,
इसको आज़माने वाले असीरी में आ गये।
हम तो बैठे थे उनके दीदार की आस में,
दिन देखते देखते ही चाँदनी में आ गये।
अच्छा जहेज़ दे ना सका एक बाप इसलिए,
संसार के वो सारे ऐब एक बेटी में आ गये।
"पागल" की ज़िन्दगी मिल चुकी है खाक में,
फिरभी तुझे दिखाने तेरी शादी में आ गये।
✍?"पागल"✍?
नज़्म - कविता / गीत / ग़ज़ल
बस्ती - आबादी / पिछड़ा इलाका
फकीरी - निर्धनता / कंगालपन
आज़माना - जाँचना / परखना
असीरी - कैद / बंधन
दीदार - दर्शन / साक्षात्कार
आस - आशा / कामना
जहेज़ - दायजा / दहेज / बेटी को शादी में दिया जाने वाला समान
ऐब - बुराई / दोष
खाक - धूल / मिट्टी / राख