झरोखों में खड़ी हुस्न परी दीदार हुआ,
नज़र से नज़र मिलते उनसे इकरार हुआ,
उनको देखने की चाहत में हर शाम गली में,
उनके ही झरोखे के नीचे रोज इन्तज़ार हुआ,
एक शाम आयी सहेलियों के साथ महफ़िल में,
उस दिन भरी महफ़िल में उनसे इज़हार हुआ,
पतझड़ के मौसम में भी उनकी झलक पाते,
उजड़ा हुआ चमन फिर से गुलजार हुआ,
उनके प्यार, इश्क़ और मोहब्बत की खातिर,
दुनिया में आज मेरा ये "पागल" किरदार हुआ।
✍?"पागल"✍?