कोई किताब में कलम की धार दिखती है,
कोई किताबें ज़िन्दगी का आधार दिखती है,
मेरी ज़िन्दगी तो किताबी कागज़ की नाव है,
कभी कोई किनारे तो कोई मझधार दिखती है,
किताबों से चलती है अपनी ज़िन्दगी की नाव है,
कलम कभी हथियार कभी पतवार दिखती है,
कलम सी पतवार से ज़िन्दगी में खुशी और ग़म है,
हमारी पतवार कभी कभी तलवार दिखती है,
किताबों में कभी इतिहास दिखता है कभी वर्तमान,
किताबें "पागल" में ज़िन्दगी आरपार दिखती है।
✍?"पागल"✍?