क्षितिज पर दूर सूरज चमका, सुबह खड़ी है आने को,
धुंध हटेगी, धूप खिलेगी, फिर दिन नया है छाने को,
साहिल पर बैठे बैठे डरते रहने से क्या होगा दोस्त,
लहरों से लड़ना होगा उस पार समन्दर जाने को,
प्यार इश्क़ तो है पुरानी बातें, कैसे इनसे नज़्में सजे,
आज की कलम वो दर्द लाई सोती रूह जगाने को,
दिन गुजरा याद दिलाता है, भूली बिसरी बातें अब,
सुर नया हो, ताल नया हो, गाये नये अफ़साने को,
खुद के हाथों की लकीरों से तू करलो खुद के बस में,
"पागल" तेरी रूठी तकदीर कौन आये उसे मनाने को।
"पागल"