✍️ए जिज्जी! हम कहा कह रहे हते, कि जब पहली बार नौकरी कूं गए तो बाऊजी ने खही हती कि, लाला और तो सब ठीक है, पर झां किराए पे मकान लेवै तो पड़ौस को ध्यान राखियो। पड़ौस चोखो होनो चहिएं। अब बिनते कहा केहते, बाहरी दुश्मनन ते तो लड़ लेओ, पर अपने देस में भीतर ई बन रहे दुश्मनन ते कैसें छुटकारौ मिलेगो। पड़ौसी पाकिस्तान कूं तो जवाब दे दियो, पर देस के भीतर ई कितेक पाकिस्तान है रये हतैं, कौन कौन कूं सबूत देवें। विपक्ष कूं ऐसे रवैया ते बचनों चहिए। जे सुसर दलगत राजनीति ते ऊपर उठ कें देस की सुरक्षा को ध्यान रखें तो बढ़िया रहेगौ।खाली अपने तुष्टिकरण के तांइं सरकार कौ मनोबल गिराबो कहां तक उचित है। जा तरियां मोदी को तो पतौ नांय दुबारा आवे ते रोक पांगे कि नांय, अपनी फजीती जरूर करवावें। रोकनो होय तौ कछु सार्थक सही करकें दिखामें। काहू ए कहां आपत्ति है? सबरौ विपक्ष (भानुमती को कुनबा) एकजुट हैकें भी `खिसियानी बिल्ली खंबा नोंचे' वारी कहावत ही सिद्ध कर रही है। कछु आतंकवादी ही ना मरे, कइयन की तौ प्रधानमंत्री बनबे की उम्मीद हू मर गई है। अब बेचारे कहा करें, मजबूरी में कहनों पर रह्यौ है, सेना के संग हतें, सरकार केउ संग हतें, पर भूल कें उं मोदी कौ नाम ना लै सकें। बड़ी दया आवै ऐसे में। ???