फ़िर बात करेंगे !
दो दोस्त थे। बचपन से ही दोनों एक साथ खेले पढ़े थे। हर बात में एक समान। जो बात एक को पसंद आती,वही दूसरे को भी।
न जाने कैसे,एक बात में दोनों बिल्कुल अलग थे। एक अपने मन की बात किसी को भी बताता न था,जबकि दूसरा जो भी सोचता या करना चाहता,झटपट सबको बता डालता था।
अब स्वभाव का ये अंतर कहीं तो सिर चढ़ कर बोलना ही था।
नतीजा ये हुआ कि पच्चीस साल बाद दोनों में से एक बेहद अमीर हो गया जबकि दूसरा एक सामान्य मध्यम वर्गीय नागरिक रहा।
दोस्ती तो कायम थी, लिहाज़ा आपस में मिलते जुलते भी थे।
एक दिन फुरसत में बैठे बैठे दोनों के बीच इस बात के लिए मंथन होने लगा कि जीवन में हम दोनों के बीच आखिर स्टेटस का इतना बड़ा अंतर कैसे आ गया?
एक ने कहा- मैं अपनी हर योजना सबको बता देता था, इससे मुझे सबके सुझाव और फीडबैक मिल जाते थे और इससे मेरे हर काम में मुझे शानदार मुनाफा मिलता था, जिससे मैं अत्यधिक धनी हो गया।
दूसरा बोला- मैंने कभी किसी को कुछ नहीं बताया। यहां तक कि तुझे भी नहीं बताया कि मेरा तुझसे भी चार गुना ज़्यादा धन रखा कहां है! मैं सादगी से रहता हूं ताकि धन ऐसे ही आता रहे, जबकि तुझे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
- लेकिन तेरा धन है कहां? पहले ने आश्चर्य से पूछा।
दूसरा बोला- देख, मैं तुझे बता तो देता पर अभी तो मुझे बहुत ज़ोर से नींद आ रही है, फ़िर बात करेंगे !